Tuesday, October 19, 2010

Any Fault

कोई गलती न करना मनुष्य के बूते की बात नहीं है, लेकिन अपनी त्रुटियों और गलतियों से समझदार व्यक्ति भविष्य के लिए बुद्धिमत्ता अवश्य सीख लेते हैं

किसी जंगली जानवर की तुलना में निष्ठाहीन तथा बुरी प्रवृतियों वाले मित्र से अधिक डरना चाहिए क्योंकि जंगली जानवर आपके शरीर को चोट पहुंचाएगा लेकिन बुरा मित्र तो आपके मन-मस्तिष्क को घायल करेगा.

जब टूटने लगे होंसले तो इतना याद रखना, बिना मेहनत के हासिल तख्तो-ताज नहीं होते, ढूंढ़ ही लेते है अँधेरे में मंजिल अपनी, जुगनू रौशनी के मोहताज़ नहीं होते.

किसी सेठ के पास एक नौकर गया। सेठ ने पूछाः "रोज के कितने रुपये लेते हो?"
नौकरः "बाबू जी ! वैसे तो आठ रूपये लेता हूँ। फिर आप जो दे दें।"
सेठः "ठीक है, आठ रुपये दूँगा। अभी तो बैठो। फिर जो काम होगा, वह बताऊँगा।"
सेठ जी किसी दूसरे काम में लग गये। उस नये नौकर को काम बताने का मौका नहीं मिल पाया। जब शाम हुई तब नौकर ने कहाः "सेठ जी! लाइये मेरी मजदूरी।"
सेठः "मैंने काम तो कुछ दिया ही नहीं, फिर मजदूरी किस बात की?"
नौकरः "बाबू जी ! आपने भले ही कोई काम नहीं बताया किन्तु मैं बैठा तो आपके लिए ही रहा।"
सेठ ने उसे पैसे दे दिये। जब साधारण मनुष्य के लिए खाली-खाली बैठे रहने पर भी वह मजदूरी दे देता है तो परमात्मा के लिए खाली बैठे भी रहोगे तो वह भी तुम्हें दे ही देगा। 'मन नहीं लगता.... क्या करें?' नहीं, मन नहीं लगे तब भी बैठकर जप करो, स्मरण करो। बैठोगे तो उसके लिए ही न? फिर वह स्वयं ही चिंता करेगा।

No comments:

Post a Comment