Tuesday, October 19, 2010

My fault

अपना दोष देखकर उसी को घोर दु:ख होता है,जो यह मान लेता है कि मेरे समान और कोई दोषी नहीं है। जब तक अपने समान तथा अपने से अधिक कोई दोषी दिखाई देता है, तब तक दोषयुक्त जीवन का गहरा दु:ख नहीं होता। यह नियम है कि गहरा दु;ख होनेसे जीवन बदल जाता है क्योंकि जब दु:ख सुख-लोलुपता को खा लेता है,तब सुख-भोग की कामना मिट जाती है,जिसके मिटते ही सभी दोष स्वत: मिट जाते हैं।

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